Tuesday, June 9, 2020

Lesson-3 परागण, निषेचन तथा भ्रूणकोष व् भ्रूण का परिवर्धन Pollination ,Fertilization and Development Of Endosperm and Embryo

Lesson-3

परागण, निषेचन तथा भ्रूणकोष व् भ्रूण का परिवर्धन

Pollination ,Fertilization and Development Of Endosperm and Embryo


परागण(Pollination)

परिभाषापुंकेसर के  परागकोष से परागकणों का अन्ड़प की वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरण की क्रिया को परागण कहते हैं

परागकण स्थानांतरण के साधन (i)कीट (ii)वायु (iii)जल (iv) पक्षी (v) चमगादड़ (vi) घोंघा (vii)चीटियाँ आदि

परागण के प्रकार (A)स्व-परागण (B)पर-परागण

(1)      स्व-परागण=जब एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प अथवा उसी पादप के अन्य पुष्प की वर्तिकाग्र पर पहुचते हैं तो इस प्रकार के परागण को  स्वपरागण कहते हैं यह परागण दो प्रकार का हो सकता है

(i)स्वकयुग्मन(Autogamy) = एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुचना अर्थात स्वयं  के  परागकणों से परागित होना स्वकयुग्मन है उदाहरण मटर

(ii)सजातपुष्पी (Geitonogomy)= एक पुष्प के परागकण उसी पादप के अन्य पुष्प की वर्तिकाग्र पर पहुंचना सजातपुष्पी परागण है अर्थात यह एक ही पादप के दो अलग –अलग पुष्पों के बीच का परागण है उदाहरण,मक्का , ककड़ी

सजातपुष्पी परागण    आनुवंशिक दृष्टि से –  स्वपरागण

                               पारिस्थितिकी दृष्टि से— परपरागण 

स्वपरागण के लिए युक्तियाँ या अनुकूलन = यह वे तरीक़े या परिवर्तन हैं जिनके कारण स्वपरागण संभव हो पाता है यदि यह युक्तियाँ न हो तो स्वपरागण नहीं होगा

प्रमुख युक्तियाँ (i) उभयलिंगता(Bisexuality) =स्वपरागित पादप उभयलिंगी या द्विलिंगी होते हैं उदाहरण मटर

             (ii)समकालपक्वता(Homogamy)=  इन पोधों के पुष्पों के पुमंग या जायांग एक ही समय में एक साथ परिपक्व होते हैं और सही समय पर परागकण वर्तिकाग्र पर पहुच जाते हैं  उदाहरण गुल अब्बास(Mirabilis), सदाबहार(Catharanthus)

(iii) अनुन्मील्यता(Cleistogamy)= यह स्वपरागण के लिए  ऐसा उपाय  है जिसमें की पुष्प खुलते ही नहीं हैं इस तरह दूसरे पुष्प के परागकण अन्दर वर्तिकाग्र पर पहुँच ही नहीं पाते और और पर परागण की संभावना समाप्त हो जाती है  केवल स्वपरागण  ही हो पाता है .उदाहरण वायोला , कन्कोआ (Commelina)

(B)परपरागण (Cross-Pollination)= एक पुष्प के परागकण उसी जाति के दूसरे पोधे के पुष्प  की वर्तिकाग्र पर पहुचते हैं तो इस प्रकार के परागण को  पर-परागण कहते हैं

इसे सजात (Xenogamy)परागण भी कहते हैं

पर परागण की युक्तियाँ एवं अनुकूलन (Contrivances or Adaptation for Cross-Pollination)

(i)स्वबंध्यता(Self Sterility)

(ii)एक लिंगता(Unisexuality or Dicliny)

(iii) भिन्नकालपक्वता (Dichogamy)

(iv)अवरुद्धपरागणता या हरकोगेमी(Herkogamy)

(v) विषमवर्तिकात्व

       

(i)स्वबंध्यता(Self Sterility)=  यह स्वपरागण को रोकने की ऐसा उपाय  है जिसमें की एक पुष्प के स्वयं के परागकण स्वयं की वर्तिकाग्र पर अंकुरित नहीं होते  अर्थात वे स्वयं के लिए बंध्य होते हैं ऐसी स्थिति स्वबंध्यता कहलाती है उदाहरण राखी बेल(Passiflora), अंगूर(Vitis) पेटूनिया  .

(ii) एकलिंगता(Uni Sexuality or Dicliny)= किसी पादप के समस्त पुष्प एक ही लिंग के हो तो इस स्थिति को एकलिंगता कहते हैं यह स्थिति स्वपरागण को रोकती है किसी पादप के समस्त पुष्प एक ही होने पर उसमें केवल पर–परागण ही हो सकता है कई पोधों जैसे की लोकी तुरई आदि में एक ही पादप पर दोनों प्रकार के एक लिंगी पुष्प लगते. इस कारण इन पादपों में सजातपुष्पी परागण हो सकता है जिसको स्वपरागण का प्रकार मानते हैं .

(iii) भिन्नकालपक्वता(Dichogamy)= पोधों में पुमंग व जायांग भिन्न भिन्न काल (समय) पर परिपक्व होते हैं

भिन्नकालपक्वता के प्रकार

(क) पुपूर्वता(Protandry)    (ख)स्त्रीपूर्वता(Protogyny)

(क)पुपूर्वता(Protandry)= भिन्नकालपक्वता की वह स्थिति जब परागकोष वर्तिकाग्र से पूर्व  परिपक्व हो जाता है इसे पुपूर्वता कहते हैं इस कारण स्वपरागण नहीं हो पाता उदाहरण गुडहल,कपास,सूरजमुखी

 (ख)स्त्रीपूर्वता(Protogyny) = भिन्नकालपक्वता की वह स्थिति जब वर्तिकाग्र परागकोष से पूर्व  परिपक्व हो जाता है इसे पुपूर्वता कहते हैं इस कारण स्वपरागण नहीं हो पाता उदाहरण ब्रेसिकेसी और        रोजेसी के अधिकतर पादप ,चंपा ,बरगद आदि

 (iv)अवरुद्धपरागणता या हरकोगेमी(Herkogamy)= वे  उपाय जिसमे की परागण को रोकने  के लिए वर्तिकाग्र एवं परागकोष के मध्य किसी प्रकार का संरचनात्मक रूकावट(अवरोध)हो जाता है इस कारण स्वपरागण नहीं हो पाता उदाहरण केरियोफिलेसी कुल के पोधे ,कलिहारी

 (v) विषमवर्तिकात्व=Primula दो प्रकार के पुष्प होते हैं (a)लम्बी वर्तिका और छोटे पुंकेसर वाले  (b) छोटे वर्तिका और लम्बे पुंकेसर वाले 


इस  स्थिति से  स्वपरागण नहीं हो पाता क्योंकि लम्बी वर्तिका लम्बे पुंकेसर के परागकण से तथा छोटी वर्तिका छोटे पुंकेसर के परागकण से ही परागित हो सकते हैं

 


 1.     पर परागण की विधियाँ(Methods of cross Pollination )

   पर परागण बाह्य साधनों द्वारा होता है अत: यह परागण बाह्य साधनों पर निर्भर करता है साधन वह  माध्यम हैं जिनके द्वारा परागकण वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं  यह दो प्रकार के होते हैं (i)अजैविक (ii)जैविक

(i)अजैविक:-उदाहरण -- वायु ,जल    (ii)जैविक:-उदाहरण—कीट,पक्षी,जंतु 

पर परागण के प्रकार  प्रकार का आधार= बाह्य साधन

1        वायु परागण (Anemophily)

2        जल परागण(Hydrophily)

3        कीट परागण(Entomophily)

4        पक्षी परागण (Ornithophily)

5        चमगादड द्वारा (Cheiropterophily)

1 वायु परागण (Anemophily) = पर परागण  का वह प्रकार जिसमें की पराग कण  वायु द्वारा स्थानांतरित होते हैं अर्थात स्थानान्तरण का बाह्य माध्यम(साधन) वायु होता है  वायु परागण कहलाता है

वायु परागित पुष्पों की विशेषताएं =(i)परागकण छोटे हल्के चिकने एवं शुष्क होते हैं (ii)  परागकण उत्पादन संख्या में अधिक होता है (iii) वर्तिकाग्र परागण के अनुकूल उदाहरण 1  =घास –वर्तिकाग्र रोमिल या पक्षाभी ,उदाहरणता है 2 typha brush जैसा वर्तिकाग्र

2 जल परागण(Hydrophily)= पर परागण  का वह प्रकार जिसमें की पराग कण  जल द्वारा स्थानांतरित होते हैं अर्थात स्थानान्तरण का बाह्य माध्यम(साधन) जल होता है  जल परागण कहलाता है सभी जलीय पादप जल परागित नहीं होते.

वायु परागित जलीय पादप :- पोटामोज़ीटोंन(Potamogeton)

कीट परागित जलीय पादप :- निम्फिया (Nymphaea)

जल परागण के प्रकार

आधार = जल परागण का स्थान

(i) अधोजल परागण(Hyphydrophily) अधो=नीचे अर्थात वह जल परागण जो की जल की सतह के नीचे होता है उदाहरण जल निमग्न पोधे(जल में डूबे हुए पोधे) जैसे की

नाजास ,सिरेटोफिल्लम,जोस्टेरा

(ii).अधिजल परागण=(Ephydrophily) अधि=बाहर या ऊपर अर्थात वह जल  परागण जो की जल की सतह के ऊपर  होता है उदाहरण=वेलिसनेरिया

 3.कीट परागण (Entomophily)= पर परागण  का वह प्रकार जिसमें की पराग कण  कीटों द्वारा स्थानांतरित होते हैं अर्थात स्थानान्तरण का बाह्य माध्यम(साधन) कीट होते है  वायु परागण कहलाता है

वायु परागण करने वाले कीट :- मधुमक्खियाँ , पतंगे ,टाटिया,बीटल . यह माना जाता है की 80%  प्रतिशत कीट परागण मधुमक्खियों द्वारा होता है

कीट परागित पुष्पों की विशेषताएँ :--(i) अधिकतर पुष्प रंगीन  चमकदार होते हैं (ii) मकरन्द युक्त होते हैं (iii) पुष्पों में गंध होती है उदाहरण :-सरसों , साल्विया (तुखमलंगा),आर्किड्स आक आदि

4.पक्षी परागण(Ornithophily)= पर परागण  का वह प्रकार जिसमें की पराग कण  पक्षियों द्वारा स्थानांतरित होते हैं अर्थात स्थानान्तरण का बाह्य माध्यम(साधन) पक्षी होते है  पक्षी परागण कहलाता है

अधिकाँश उष्ण कटिबंधीय पोधों में पक्षियों द्वारा परागण होता है

विभिन्न आकृतियों के पुष्प (i) नलिकाकार  उदाहरण तम्बाकू  (ii) प्यालेनुमा  उदाहरण:- Bottle Brush (iii) कुम्भाकार उदाहरण :-ऐरीकेसी कुल के पोधे

ये सभी पोधों के पुष्प चमकदार आकर्षक एवं मकरंद युक्त होते है यह मकरंद पक्षियों के लिए लालच का कार्य करता है पक्षी मकरंद के लालच में आकर्षित होते हैं और पुष्प के परागकण पक्षियों की  चोंच और  शरीर पर चिपककर और दुसरे पुष्प पर पहुँच जाते हैं

 कुछ परागण करने वाले प्रमुख  पक्षियों के उदाहरण = गुंजन पक्षी(Humming birds) ,शकरखोरा(Sun Bird) , नेक्टिरिना

कुछ पक्षी परागित पुष्प = सेमल(Bombax),बिग्नोनिया,पलाश(Butea), रक्तमदार(Erythrina)